गली मिलल गाँवन कै सुनी
मेंड़ रहल खेतन कै टूटल
सब रहल बदलल-बदलल
ना अबकी ऊ गाँव मिलल।
न मिलने अबकी रामू काका
काकी चूल्हा फूँकत रहल
पतोहिया बईठ अंगना में
फेसबुक पे चैटिंग करत मिलल।
बुढ़िया - बुढवा ओसरा में बईठल
आखिर दिन गिनत रहल
अउर बेटवा मेहरारू संगे
बाईक पे शहर घुमत मिलल।
आल्हा बिरहा कै मशहूर गवैया
फेंकू कैंसर संग बाजी जीतत रहल
मगर शीला , छाया अउर चमेली से
लोकगीत में बाजी हारत मिलल।
जगह-जगह दारू कै अड्डा
होत अन्धेरा खुलत रहल
सिगरेट के कश में बरबाद
अबकी होत बचपन मिलल।
गईल जमाना डी-डी वन के
न केहू चित्रहार देखत रहल
हर घरे के देवारी पै अबकी
डिस टीवी के छत्ता लटकल मिलल।
इनके काटत उनके पीटत
नेतन जैसन राजनीत रहल
ख़तम मिलल भाई चारा अबकी
शहरीपन कै भूत चढ़ल मिलल ।
मेंड़ रहल खेतन कै टूटल
सब रहल बदलल-बदलल
ना अबकी ऊ गाँव मिलल।
न मिलने अबकी रामू काका
काकी चूल्हा फूँकत रहल
पतोहिया बईठ अंगना में
फेसबुक पे चैटिंग करत मिलल।
बुढ़िया - बुढवा ओसरा में बईठल
आखिर दिन गिनत रहल
अउर बेटवा मेहरारू संगे
बाईक पे शहर घुमत मिलल।
आल्हा बिरहा कै मशहूर गवैया
फेंकू कैंसर संग बाजी जीतत रहल
मगर शीला , छाया अउर चमेली से
लोकगीत में बाजी हारत मिलल।
जगह-जगह दारू कै अड्डा
होत अन्धेरा खुलत रहल
सिगरेट के कश में बरबाद
अबकी होत बचपन मिलल।
गईल जमाना डी-डी वन के
न केहू चित्रहार देखत रहल
हर घरे के देवारी पै अबकी
डिस टीवी के छत्ता लटकल मिलल।
इनके काटत उनके पीटत
नेतन जैसन राजनीत रहल
ख़तम मिलल भाई चारा अबकी
शहरीपन कै भूत चढ़ल मिलल ।
आंचलिक भाषा में मार्मिक अभिव्यक्ति ... बहुत खूब ..
ReplyDeleteBahut badhiya likhe hawa.. badhai..
ReplyDeletebahut badhiya ...
ReplyDeleteअरे भैया आज हमार मन बढ़ा खुश भईल कि अतना सुंदर अऊर दिल के नीमन लागे वाला देशी कविता पढ़े के मिलल। बहुत नीमन लागल। हमरे पोस्ट पर एक बार समय निकाल के आईं अऊर हमार मन के भी बढाई। धन्यवाद।
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